25 Months of IJC Blogging: संक्या २४ खंड ३४ (गार्थ) रक्तिम अभियान and 99 (flash Gordon) The Witch Queen

आज २५ महीने गुजर गए, जब पहली बार इंद्रजाल कॉमिक्स ब्लॉग पे प्रकाशित किया था| अनोखा सफ़र है - पाठक से ब्लॉगर; ब्लॉगर से इंद्रजाल ब्लॉगर| अनगिनत  पहलु हैं  जिनको  बहूत ही कम दोस्त जानते हैं| कभी सोंचा भी नहीं था कि इंद्रजाल कॉमिक्स पोस्ट करूँगा और आज ........

मई - जून २००७: अचानक कुछ भौतिक कॉमिक्सों प्रतियों की खोज रहा था और अचानक  दिखाई दी एक इन्टनेट शॉप, जहाँ पे  डिजिटल इंद्रजाल कोई "सज्जन" बेच रहे थे| जिज्ञासा जगी , "क्या अब इंद्रजाल इ-कॉमिक्स के रूप में प्रकाशित होनी शुरू हो गयी?"  अपनी पहली तलाश को अधूरी बीच  में छोड़ कर लग गया आगे पता लगाने|  और इस अंतराल दिखा दी  TCP की ब्लॉग| धीमी इंटरनेट की वजह से, कई दिन लगे सारी कॉमिक्स को डाउनलोड करने में! लेकिन कुछ लिंक काम नहीं कर रहे थे, कुछ समय से कोई नया पोस्ट भी नहीं आ रहा था| इस दौरान बाकी सभी इंद्रजाल ब्लोग्स भी मिले| शुक्रगुजार हूँ, प्रत्येक ब्लॉगर  को जिन्होंने  कम से कम एक इंद्रजाल ईमानदारी  से  प्रकाशित किया है|

अगस्त २००७ तक इंटरनेट पे  उपलब्ध सारे इंद्रजाल डाउनलोड करने के बाद, कुछ ख्याल आये:

१.  क्यों न बाकी इंद्रजाल में से कोई १०० - २००  भारतवर्ष से अगली यात्रा मैं साथ ले आऊं और इन्ही ब्लॉगर  को  स्कैन कर भेज दिया करूँ|
२. एक और मेरी मनपसंद कॉमिक्स शृंखला, जो उस समय नेट पे उपलब्ध नहीं थी कि शुरुआत की जाय| इन्टरनेट शॉप में विदेशों के लिए  कीमत देख कर  निर्णय लिया कि अगली बार खुद ही इंडिया में खरीद कर साथ ले आऊंगा|
३. साथ में कुछ  ऐसा किया जाय, जो मेरे तरह  लेट-लतीफ़ लिंक डाउन होने की वजह से   इंद्रजाल ब्लोग्गेर्स के प्रयास से वंचित ना  रह जायें|  मैं खुद ही अभी भी कई कॉमिक्स के लिंक खोज नहीं पा  रहा था|

पृष्ठभूमि: समय का अभाव, काम में अत्ति व्यस्त, लेकिन इन कॉमिक्स को बचाने  क़ी लगन भी |  उस समय मैं एक दूसरा (कंपनी का)  इ-मेल इस्तेमाल कर रहा था| इसलिए E-SNIPS पे इंद्रजाल संग्रहित करने से पहले जिन सभी का  इ-मेल मिला, अनुमति मांगी| कुछ ने सहमती दी, कुछ चुप रहे, लेकिन किसी ने आपति जाहिर नहीं क़ी|

नवम्बर २००७: ब्लॉग्गिंग क़ी शुरुआत, लेकिन अपना ध्यान दूसरी किताबों और कॉमिक्स पे  लगाया, क्योंकि बहुत सारे लोग नियमित अन्तराल से इंद्रजाल  पोस्ट कर रहे थे| सोंचा था, दिसम्बर भारत यात्रा में मनपसंद कुछ कॉमिक्स साथ ले आऊंगा, लेकिन कुछ काम और निजी वजह से अनिश्चित काल के लिए यात्रा स्थिगित|

जनवरी २००८: एक मनपसन्द कॉमिक्स शृंखला के लिये कुछ ब्लागरों  द्वारा एक ब्लॉग  की शुरुआत  हुई| मेरी अपनी योजना में संशोधन: पोस्ट करने क़ी वजाय योगदान करने का विचार|

फरवरी २००८: एक इ- कॉमिक्स संग्रहकर्ता "भरत" से परिचय हुआ जिन्होंने कई अनमोल आमंत्रित फोरम का सदस्य बनने  में मदद क़ी| एक ऐसी ही जगह पे "अजनबी" से परिचय हुआ| 
 
२ मई २००८: उस कॉमिक्स ब्लॉग के एक सदस्य द्वारा कॉमिक्स योगदान करने का आह्वान| स्थिति की नजाकत को देखते हुए कुछ योगदानकर्ताओं से सिर्फ  कुछ समय तक के लिए मदद करने का आग्रह किया| कुछ लोग कॉपीराइट की दुहाई देते हुए, उस समय बात टाल दी|  "अजनबी" ने बेझिजक खुद पोस्ट करने की इजाज़त दी| साथ में  आग्रह किया कि  उनके इंद्रजाल कॉमिक्स स्कैन  को भी ब्लॉग पे  पोस्ट किया करूँ |  

१२ मई  २००८ से वो कॉमिक्स और १४ मई २००८ से  इंद्रजाल कॉमिक्स पोस्ट करना शुरू किया|वैसे तो इंद्रजाल  कॉमिक्स की शुरुआत bookscomics.blogspot.com पे हुई, लेकिन वो सभी अब इस ब्लॉग  पे भी उपलब्ध हैं| 

अजनबी की एक खाशियत हमेशा रही है, जिन नायक को अधिकांश लोगों ने नाकारा और जो दुसरे उपलब्ध नहीं करा पाये - उसको प्राथमिकता दी|

 क्यों ना परंपरा को बरकरार रखी जाय और शुरू करते है एक गार्थ कॉमिक से|
    यह कॉमिक्स TPH की इस ब्लॉग को प्रथम भेंट है| पृष्ठ ३१ और ३२ CW  द्वारा मुहैया कराया गया है| और थोड़ा सा पहले से  संपादित संस्करण में सुधार मेरे द्वारा किया गया है, वैसे इसकी कोई खाश जरुरत नहीं थी|

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  And this one is first contribution by Venkitachalam Subramanian in this round to anyone. 
    The text in one panel of page 17 &  all 4 cover pages are fixed by me.
As mainly friends are concentrating at the Phantom & Mandrake strips, I'm going to restart posting Flash Gordon strips by Dan Barry at bookscomics.blogspot.com

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Hoping you'll like these comics.

21 comments:

Bengali Indrajal Comics on 14 June 2010 at 11:22 said...

Thanks prabhat, you post again after a long time.
Also thanks to TPH, CW and Mr. Subramanian for a rare IJC comics of Flash Gordon.

VISHAL on 14 June 2010 at 12:05 said...

सर्प्रथम तो आपको अपने विचार शुद्ध हिंदी में व्यक्त करने के लिए तहेदिल से मुबारकबाद , क्या बढ़िया लिखा आपने की "पाठक से ब्लॉगर, ब्लॉगर से इंद्रजाल ब्लॉगर और आज ........... (इंद्रजाल ब्लॉग्गिंग की दुनिया के शिखर पर ! )आपने ब्लॉग्गिंग जीवन के आरंभिक काल से लेकर आज तक के अनछुए पहलु बताने के लिए धन्यवाद . और हाँ भोतिक प्रतियों को खोजते खोजते जब आपको इन्टरनेट शॉप पर जो "सज्जन" मिले , क्या आपने मेरी तरह उनसे संपर्क साधने की कोशिश की या नहीं I TCP से भरत और भरत से अजनबी तक का आपका सफ़र काफी दिलचस्प लगा
एक और बात जरुर कहना चाहूँगा की जिन अधिकाँश लोगों ने जिन भी इंद्रजाल नायकों को नाकारा , वह सच्चे इंद्रजाल प्रेमी हो ही नहीं सकते , हाँ लोकप्रियता के मामले में कोई इंद्रजाल नायक नंबर १ या नंबर २ जरुर हो सकता है लेकिन हर इंद्रजाल नायक ने अपनी एक वशिष्ठ छापछोड़ी है हम सब इंद्रजाल के दीवानों के मन्मस्तिशक तक ! जिन भी लोगों नें कुछ इंद्रजाल नायकों को नाकारा , हम सब उन लोगों को नकारते हैं अब बात करते हैं 'गार्थ' की , कद काठी में 'गार्थ' सब नायकों पर भारी है , बलवान शरीर, बलिष्ठ कंधे और पाषाण सा सीना , और कोट डालने के बावजूद गार्थ की फड़कती हुई मांसपेशियां बाहर आने को बेताब रहती हैं
TPH का हार्दिक अभिनन्दन उनकी प्रथम भेंट के लिए ! धन्यवाद CW का पृष्ठ न ३१ और ३२ उपलब्ध करने के लिए और स्वागत है Venkitachalam Subramanian का FLASH GORDON के लिए
PBC आपने अपने अति व्यस्ततम कार्यक्रम के बावजूद समय निकाला और यह दो अनमोल तोहफे दिए हम सबको ! अति उत्तम !!
हम सबको आपकी भारतवर्ष की यात्रा का इन्तजार रहेगा
आपका
प्रेत

24thphantom on 14 June 2010 at 14:26 said...

hey..great..thanks for the eng version of bengali #77.. & congrats for ur 25 months..for treating us with such rare ijcs..i still remember the day when i started blogging & u posted in my blog with v22n46..my 1st ijc scan!..really thanks bro..even today, i still see the post..always loved to see it..

24thphantom on 14 June 2010 at 14:28 said...

thanks for sharing ur journey with us..

Comic World on 14 June 2010 at 19:12 said...

प्रभात भाई,ब्लोगिंग के 25 मास मुबारक हो.आपकी आप-बीती जानकर अच्छा लगा जो की हमेशा ही लगता है जब भी किसी कॉमिक-प्रेमी की कॉमिक्स से जुडी यादें पढ़ने को मिलती हैं.लगभग हम सभी ब्लॉगर यहाँ ऐसे हैं जो पाठक से ब्लॉगर बने और इसके पीछे इंद्रजाल कॉमिक्स की मुख्य भूमिका रही है,आपके केस में भी और मेरे केस में भी.
मनीष भाई की इस नवीन ब्लॉग पर प्रथम कॉमिक देख कर अच्छा लगा पर उसके साथ उनका आलेख न पाकर मायूसी हुई,पर किसी भी सूरत में उनको धन्यवाद्,साथ ही साथ वेंकट भी धन्यवाद् की उतने ही पात्र हैं जितने की आप या मनीष भाई.उम्मीद हैं इंद्रजाल कॉमिक्स की शम्मा आगे भी ऐसे ही रौशन रहेगी हम परवानों को लुभाने के लिए.
हाँ,और एक बात,ये देख कर अच्छा लगा की आपने इस पोस्ट को हिंदी में व्यक्त किया जो की काबिले-तारीफ़ है,आगे भी गाहे-बगाहे हिंदी में लिखते रहिएगा.

PBC on 14 June 2010 at 21:42 said...

@Bengali Indrajal Comics: Thanks! Soon I'll many IJC. Comics are cleaned & many are already uploaded.

Some more scans by Venkit will follow.

Rafiq Raja on 14 June 2010 at 22:40 said...

Thanks for a double dhamaka IJC post, PBC Bro. By the way, please increase the font size for devanagiri script... It is too small for a pleasing read :)

Rafiq Raja on 14 June 2010 at 23:33 said...

I have now fixed the font size for the devnagiri script, and sadly it has to be done for each individual post, so as to not affect the size of regular English fonts. I will send the instructions to the Editors through mail.

Venkitachalam Subramanian on 15 June 2010 at 06:03 said...

Thanks for all the good words. Though not from the North, I do know to read Hindi very well.
Prabhat, you did a wonderful job with the covers. I have the physical comics of many of the e-comics which are below 10 MB in size. I shall be sending you the scanned versions. There are about 20 to 30 comics that have some panels where the top 1 line has been cut off while binding the comics. It was really irritating when I got back the comics from the binding agency.
Thanks once again to all.

PBC on 15 June 2010 at 12:32 said...

@chaltaphirtapret: लगभग 20 वर्षों के बाद, कुछ अवसरों को छोड़कर हिन्दी में लिखा हूँ| बहुत भूल गया हूँ|

ये इंद्रजाल कॉमिक्स केवल सामूहिक प्रयास की वजह से ऑनलाइन आये हैं| फर्क सिर्फ इतना है कि पहले हम व्यक्तिगत के रूप में पोस्टिंग थे, अब सामूहिक रूप में| अपने आप को मैं अग्रणी इंद्रजाल ब्लॉगर कभी नहीं समझा| मेरी पोस्ट करने की शैली फोरम से ज्यादा नजदीक है| मेरी नज़र में हर पुराने और नए ब्लॉगर अद्वितीय हैं|

मैं उस "सज्जन" से संपर्क करना चाहता तो था, लेकिन इन्टनेट शॉप पे कोई भी पता या टेलीफ़ोन उपलब्ध नहीं था| गौर से सोचने के बाद एक अनजान व्यक्ति से, जिसका नाम भी पता नहीं था, खरीदना उचित नहीं समझा| कुछ दिनों के बाद वो विज्ञापन फिर दिखाई नहीं दी| बाद में पता चला कि कुछ लोंगो के आपत्ति करने के बाद, शायद बदनामी के डर से उस सज्जन ने बेचना बंद कर दिया था|

सुनाने में आया है कि जिस "सज्जन" ने एक प्रशंसक को मदद करने के नाम पे, २००० रूपये मात्र में, इंद्रजाल कॉमिक्स स्कैन आपको बेचा था, अब राहुल देव बर्मन के संगीत भी बेच रहे हैं| :)

"नाकारा" शब्द से मेरा कहने का तात्पर्य सिर्फ यह है कि अजनबी से पहले अधिकांश दोस्तों ने मुख्यतः २-४ नायकों पे ही ध्यान दिया था| ये किसी पे इलज़ाम नहीं, बल्कि अजनबी की खाशियत है, जिसकी वजह से बहुत ही कम समय में हम सभी उनको पा सके| ये भी एक सत्य है, प्रथम चार नायकों में से बहादुर के कॉमिक्स बहुत कम उपलब्ध थे| कुछ ऐसा ही Venkitachalam Subramanian ने बहादुर कॉमिक्स के साथ बहुत ही कम समय में कर दिखाया|

PBC on 15 June 2010 at 12:35 said...

@Mr. Walker: Thanks! I also remember, you was going to start blog & instead of posting yourself first comics scans, you sent me. :)

PBC on 15 June 2010 at 14:31 said...

@Comic World: ज़हीर भाई शुक्रिया! हम सभी यहाँ अपनी नज़र से डिजिटल कॉमिक्स के महासागर में कुछ बूंदों को पहुचाने की कोशिश कर रहे रहे हैं| हर संग्राहक से ले कर इंद्रजाल ब्लॉगर तक, सभी ने अपने तरीके से इंद्रजाल कॉमिक्स के पुनर्जन्म में योगदान दिया है|

वहाँ पहले से ही कई अच्छे लेखक थे, इसलिए अधिकतम प्रयास सिर्फ कॉमिक्स स्कैन प्रस्तुत करने के लिए की| हमेशा पुराने भंडार ख़ाली करने के बाद सोंचता था, अब आराम से दुसरे कॉमिक्स या इंद्रजाल पोस्ट करने पर ध्यान केंद्रित करूँगा| लेकिन और अधिक स्कैन नए और पुराने योगदानकर्ताओं के द्वारा प्रदान किया गया|अगर नहीं कहा तो दुखी, हाँ किया तो ........

TPH , ICC और आपने पहले कभी सोंचा भी नहीं होगा कि अप्रत्यक्ष रूप से आप तीनों का हाथ है जिसकी वजह से अब इंद्रजाल कॉमिक्स पोस्ट कर रहा हूँ | पृथ्वी गोल है, आज आप दो अपनी तरफ से काफी कोशिश कर रहें हैं| ये बहुत ही ख़ुशी की बात है कि हम अधिकांश एक छत के नीचे इकठ्ठे हो रहे हैं जो न सिर्फ पाठकों के लिए काफी आरामदेह है, बल्कि हम सभी के बीच नया और स्वस्थ संबंध विकसित कर रहा है|

ये हो सकता है कि एक-आध को पसंद न आये, क्योंकि राज - नीति समय के साथ नामुमकिन होगा| ये हमारी भी जिम्मेवारी है कि सिक्के के दुसरे पहलुओं को अच्छी तरह से देखे बगैर कोई निर्णय ना लें, जो टीम भावना को तनिक भी ठेष पहुंचाये|

PBC on 15 June 2010 at 14:33 said...

@Rafiq Raja: Thanks for your technical support! I'll try in future to follow your instruction.

PBC on 15 June 2010 at 15:44 said...

@Venkitachalam Subramanian: Understand your pain. (:

Under #300 IJC finding in good condition is tough task and you had opened your treasure for all. Thank you very much!

In this round mostly comics are being fixed. The texts could be fixed relatively easily as we have an old version/strips. Fixing full panels/ covers are more time taking. So, don't worry. I'll try my best.

Once again thanks for your selfless efforts!

TPH on 22 June 2010 at 22:39 said...

How on earth could I miss this post? But I have. So sorry.

congratulations on your proud 25 weeks. Pleasantly surprised to read you writing in Hindi. You write it well for a man living out of India for last two decades.

About my contributed comic, major credit goes to Prabhat who did a wonderful job on cleaning the scans.

Keep rocking man.

TPH on 22 June 2010 at 22:41 said...

25 Months and not weeks.

PBC on 24 June 2010 at 14:35 said...

Thanks! Glad to know you liked.

It's very pleasant moment that your 75th comic is shared in this post.

Free on 20 July 2010 at 22:58 said...
This comment has been removed by the author.
Free on 20 July 2010 at 23:01 said...

When I was a kid I read a beautiful Flash Gordon comics that was about a duel between Flash Gordon and Baron Dak Tula. Flash is senseless and the Baron injects him a medicine that recovers and revives him, but keeps Flash paralysed so that Flash can not take an action against the Baron. Then the Baron says he had revived Flash because he admired Flash as an adversary, and then flies out in his spaceship.
I do not remember the issue. Can someone please help?

Rafiq Raja on 26 June 2011 at 15:14 said...

hey..great..thanks for the eng version of bengali #77.. & congrats for ur 25 months..for treating us with such rare ijcs..i still remember the day when i started blogging & u posted in my blog with v22n46..my 1st ijc scan!..really thanks bro..even today, i still see the post..always loved to see it..

Amarkhoya79 said...

i am unable to get these supers comics. now i'm 33 n i remember when i was in school 6-7 class (1988-89) i love to read IJC. many many thanks can't express what n how i feel see this blog... (:-D) thanks

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